मनोरंजक कथाएँ >> चोर की दाढ़ी में तिनका चोर की दाढ़ी में तिनकादिनेश चमोला
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इसमें 8 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
चोर की दाढ़ी में तिनका
किसी जंगल में एक मोर और राजहंस परिवार खुशी से रहते थे। उनमें आपस में
बहुत गहरा प्यार था। उनके घर के पास एक सुन्दर मैदान था व पास में ही एक
गहरा नीला तालाब। कभी आसमान में बादल छा जाने से मोर अपने नृत्य से सभी का
मन मोह लेता। राजहंस भी उस गहरे तालाब में दूर-दूर तक तैरता रहता।
कभी-कभार व मोर-मोरनी के बच्चों को अपनी पीठ पर दूर-दूर की सैर भी करा
लाता। इस प्रकार उनका जीवन खुशी से बीतता जा रहा था।
उनके सामने ही बरगद के पेड़ पर एक नीलू कौआ रहता था । वह इनकी बढ़ती हुई मित्रता से मन-ही-मन जलता रहता था। एक दिन वह काँव-काँव करता हुआ कृष्णा तालाब के किनारे पहुँच गया वह राजहंस को अकेला देख बड़े प्रेम से कहने लगा-‘‘राजहंस भैया मैं कृष्णा तालाब के किनारे और ऊपर वाले पर्वत पर रहता हूँ। जब आप तालाब में तैरते रहते हैं तो मोर और मोरनी आपके बच्चों को कई ताने सुनाते रहते है और परेशान करते हैं। ऐसे में बेचारे बच्चे कैसे बड़े होगें ?’’
‘‘तुम्हे कैसे मालूम राजहंसनी ने पूछा।
‘‘मुझे बार-बार यह देखते बहुत दुख होता है आज सवेरे ही वह कह रहे थे कि हम तो कितना अच्छा नृत्य कर लेते हैं। राजहंसों को कौन पूछता है और पूरे जंगल में पक्षियों के राजा तो हम है । हमारी सुन्दरता का मुकाबला दुनिया में कौन कर सकता है। इसलिए मैं ऐसा सहन नहीं कर पाया, तो आपके पास चला आया।’’ यह कहकर वह फुर्र से उड़ गया।
उनके सामने ही बरगद के पेड़ पर एक नीलू कौआ रहता था । वह इनकी बढ़ती हुई मित्रता से मन-ही-मन जलता रहता था। एक दिन वह काँव-काँव करता हुआ कृष्णा तालाब के किनारे पहुँच गया वह राजहंस को अकेला देख बड़े प्रेम से कहने लगा-‘‘राजहंस भैया मैं कृष्णा तालाब के किनारे और ऊपर वाले पर्वत पर रहता हूँ। जब आप तालाब में तैरते रहते हैं तो मोर और मोरनी आपके बच्चों को कई ताने सुनाते रहते है और परेशान करते हैं। ऐसे में बेचारे बच्चे कैसे बड़े होगें ?’’
‘‘तुम्हे कैसे मालूम राजहंसनी ने पूछा।
‘‘मुझे बार-बार यह देखते बहुत दुख होता है आज सवेरे ही वह कह रहे थे कि हम तो कितना अच्छा नृत्य कर लेते हैं। राजहंसों को कौन पूछता है और पूरे जंगल में पक्षियों के राजा तो हम है । हमारी सुन्दरता का मुकाबला दुनिया में कौन कर सकता है। इसलिए मैं ऐसा सहन नहीं कर पाया, तो आपके पास चला आया।’’ यह कहकर वह फुर्र से उड़ गया।
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